*मजे आ रहे हैं गुड़िया को, दिनभर खाती-सोती है (बाल कविता/ हिंदी गजल/ गीतिका)*
मजे आ रहे हैं गुड़िया को, दिनभर खाती-सोती है (बाल कविता/ हिंदी गजल/ गीतिका)
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1
मजे आ रहे हैं गुड़िया को, दिन भर खाती-सोती है
भूख-जरा सी लगी, उठा मुॅंह पंचम सुर में रोती है
2
कभी मुस्कुराहट बरसाती, हल्के से ऑंखें खोले
कभी बंद नयनों के भीतर, खुद ही खुद में खोती है
3
लड़के से बढ़कर है लड़की, दादा जी यह कहते हैं
जग में सबसे सुंदर मेरी, प्यारी-प्यारी पोती है
4
गोदी में जब इसे लिटा लो, छोटे कंबल से ढक कर
लगता है ज्यों किसी सीप में, एक सुरक्षित मोती है
5
घर मे प्यारी गुड़िया का होना भी बहुत जरूरी है
बेटा सूरज है तो बेटी, चंदा जैसी होती है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451