*मजा हार में आता (बाल कविता)*
मजा हार में आता (बाल कविता)
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पोता बोला दादा जी से
“रंग चाँद का कैसा?”
जरा सोचकर दादा जी
यह बोले “कौए जैसा”
सुनकर पोता खुश हो-होकर
झूमा-नाचा-गाया
बोला “हार गए दादा जी
मैने उन्हें हराया ”
बोले तब दादा जी
“अक्सर मजा हार में आता
जान बूझकर मैं पोते को
उत्तर गलत बताता ”
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451