मजा मुस्कुराने का लेते वही,
मजा मुस्कुराने का लेते वही,
अश्रु धारा नयन से जिनके बही,
श्रेय पाने का पाते हैं फिर फिर वही,
गम खोने का जिनको हुआ है कहीं,
डूब जाने के डर से ही जो डर गये,
सीप का मोती उनको मिला ही नहीं,
जो जूझे ही नहीं जिन्दगी-ए-जंग में,
जीत का सेहरा उनको बंधा भी नहीं,
दायरा सोच का जिनका विकसित रहा,
हर गली गांव में पहचाने गये,
जो सिमट रह गये स्वयं तक ही सदां,
नाम दुनिया ने उनका भी जाना नहीं,
इसीलिए वक्त है, कुछ करो तो सही,
जो करोगे मिलेगा फल भी वही,
है विदित सबको सच है यही साथियो,
बिना कर्म फल कभी मिलता नहीं।
✍️ सुनील सुमन