मज़दूर दिवस
बाबू कल मज़दूर दिवस है
कल तुम नहीं काम पर जाना
पूरी दुनिया मना रही है
तुम भी दिवस ये खूब मनाना।
मेरे स्कूल में भी तो कल
ये दिवस मनाया जाएगा।
कविता,कहानी या फिर कोई
गीत सुनाया जाएगा।
मई महीना शुरू हो गया
तपती धरती तपते पाँव
बाबू कल तुम घर पर रहना
घर के भीतर ठंडी छांव।
गुड्डी तू तो बड़ी सयानी
बाबू से करती है प्यार।
गर मैं काम पे ना जाऊंगा
भूखा रह जाये परिवार।
धनवानों का होता ये दिन
घर पर छुट्टी मनाते हैं
पूरा दिन मौज- मस्ती
खाना बाहर से खाते हैं।
हर दिन जैसा ही कल होगा
अपना तो कुछ ना बदलेगा।
मज़दूर दिवस हो या दीवाली
झुग्गी अपनी में अंधेरा होगा।
कल करनी है डबल दिहाड़ी
माँ की दवा मंगानी है,
सो जा बिटिया ज़िद न कर
तेरी वर्दी भी लानी है।।
**** धीरजा शर्मा***