Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Nov 2021 · 2 min read

मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना

उर्दू के सुप्रसिद्ध शायर मोहम्मद इकबाल के विभिन्न सूक्तियों में से एक हैं:-

“मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना”

उपर्युक्त पंक्ति इकबाल जी ने बिल्कुल सही कहा हैं। इकबाल जी भारतीय कवि थे और भारत में विभिन्न प्रकार के धर्म, जाति तथा समुदाय के लोग रहते हैं। भारतीय लोगों में प्रत्येक लोगों के रहन-सहन, खान-पान, धार्मिक ग्रन्थ,भाषाएँ विभिन्न-विभिन्न होती है। परंतु सभी लोग एक भारतीय की तरह मिल-जुलकर रहते हैं। अतः, हमारा देश”विविधताओं में एकता का देश” कहा जाता है।

हमारे देश के कुछ नेता तथा कुछ कट्टरपंथी लोग अपनी इच्छा पूर्ति का आधार धर्म और समुदाय को बनाते है । वे धर्म को आधार लेकर लोगों के बीच फूट डालते हैं तथा दंगे-फसाद करवाके उनमें नफरत पैदा करवाते हैं। इनमें भारतीयता के भावना की कमी है। चंद सुखों के लिए लोग भी इन नेताओं और कट्टरपंथियों के बातों में आ जाते हैं और अपने ही लोगों से दुश्मनी की भावना रखने लगते हैं।

अगर हम धर्म और मजहब की बात करें, तो किसी भी धार्मिक ग्रंथ में ये नहीं कहा गया है कि इंसानों की इंसानों से ही परस्पर द्वेष भावना रखनी चाहिए । कोई भी मजहब दूसरे मजहब के लोगों को समता की नजर से देखती हैं।

धर्म और मजहब के नाम पर लड़ना मूर्खता का काम हैं, क्योंकि ये धर्म और मजहब मानव-निर्मित है तथा मानव के सुविधा के लिए बनाए गए हैं।ईश्वर और ख़ुदा को मानव ने ही बाँटा हैं।पर आजकल के कुछ लोग समाज में लोगों को भड़काने में लगे हुए हैं जैसे यही उनका पेशा बन गया हो।

औऱ तो और ये लोग आम जनता और नागरिकों को विभिन्न प्रकार के प्रलोभन भी देते हैं और इसके माध्यम से वो धर्म -परिवर्तन भी करवा लेते हैं,इससे स्प्ष्ट हैं कि वो अपने धर्म को सर्वश्रेष्ठ समझते हैं तथा आम जनता के ग़रीबी का गलत फायदा उठाते हैं।ये बिल्कुल गलत हैं, हम सभी भारतीयों को यह समझना चाहिए कि सबका धर्म और मजहब उसके लिए उपयुक्त हैं और धर्म-मजहब से कोई इंसान बड़ा-छोटा नहीं होता हैं।हमारे संविधान के द्वारा भी हमें कई धार्मिक अधिकार दिए गए हैं जिसके अनुसार हम केवल स्वेच्छा से ही अपना धर्म परिवर्तित कर सकते हैं, न कि किसी भी प्रकार के दबाव में आकर ।इसलिए हमें धर्म-मजहब के नाम पर लड़ना और भेदभाव करना रोकना चाहिए और दूसरों को भी रोकने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

हमारे विचार से इकबाल जी की यह उक्ति वर्तमान समाज के लिए बहुत सटीक और सार्थक हैं तथा वैसे कट्टरपंथियों पर सीधा वार करती हैं जो केवल अपने स्वार्थ-सिद्धि के लिए विभिन्न धर्मों और समुदायों में नफ़रत पैदा करवाती हैं तथा उन्हें सुधरने के लिए सिख देती एक उपयुक्त और महत्वपूर्ण सूक्तियों में से एक हैं।

हम सब एक ही ईश्वर के,
बनाये हुए अमूल्य संतान हैं।
जाति-धर्म तो हमने बनाए,
याद रख बस की हम इंसान हैं।

✍️✍️✍️खुशबू खातून

Language: Hindi
Tag: लेख
6 Likes · 4 Comments · 645 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*हास्य-व्यंग्य*
*हास्य-व्यंग्य*
Ravi Prakash
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
हम उस महफिल में भी खामोश बैठते हैं,
शेखर सिंह
दोहे
दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
मै पैसा हूं मेरे रूप है अनेक
मै पैसा हूं मेरे रूप है अनेक
Ram Krishan Rastogi
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
जब भी बुलाओ बेझिझक है चली आती।
Ahtesham Ahmad
प्राकृतिक सौंदर्य
प्राकृतिक सौंदर्य
Neeraj Agarwal
घुली अजब सी भांग
घुली अजब सी भांग
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ अटपटी-चटपटी...
■ अटपटी-चटपटी...
*Author प्रणय प्रभात*
रात
रात
sushil sarna
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
बंदरा (बुंदेली बाल कविता)
Dr. Reetesh Kumar Khare डॉ रीतेश कुमार खरे
क्या करते हो?
क्या करते हो?
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
" समय बना हरकारा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
मीडिया पर व्यंग्य
मीडिया पर व्यंग्य
Mahender Singh
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
अब तो गिरगिट का भी टूट गया
Paras Nath Jha
बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
Rajesh Kumar Arjun
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
Santosh Shrivastava
बात क्या है कुछ बताओ।
बात क्या है कुछ बताओ।
सत्य कुमार प्रेमी
मातु शारदे करो कल्याण....
मातु शारदे करो कल्याण....
डॉ.सीमा अग्रवाल
You cannot find me in someone else
You cannot find me in someone else
Sakshi Tripathi
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
धुंध छाई उजाला अमर चाहिए।
Rajesh Tiwari
मुझे लगता था
मुझे लगता था
ruby kumari
इल्तिजा
इल्तिजा
Bodhisatva kastooriya
3239.*पूर्णिका*
3239.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बारिश
बारिश
विजय कुमार अग्रवाल
" एकता "
DrLakshman Jha Parimal
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
सावित्रीबाई फुले और पंडिता रमाबाई
Shekhar Chandra Mitra
विनती सुन लो हे ! राधे
विनती सुन लो हे ! राधे
Pooja Singh
चाहे मिल जाये अब्र तक।
चाहे मिल जाये अब्र तक।
Satish Srijan
Loading...