Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Jul 2021 · 1 min read

मजहब की दीवार !

मजहब की तकरार जब होती है,
इंसानियत शर्मसार तब होती है।
अंधा हो जाता जैसे हर इंसान,
मिट जाता मान और सम्मान।

याद करो इतिहास की बातों को,
सैतालिस की कड़वी यादों को,
बेबस आंखों औ फरियादों को।
नफरत से भरे उन संवादों को।

हमने क्या कुछ नहीं खोया था,
टूट सपनों को कैसे सजोया था।
अब भी मन के सब घाव हरे हैं,
समय के साथ भी नहीं भरे हैं।

गलती पुरानी फिर न दोहराएं,
मिलकर अब हर त्योहार मनाएं।
मंदिर मस्जिद गिरजा गुरुद्वारे,
ईश्वर के ही तो घर हैं सारे।

आओ मिल कर अब साथ रहें,
अल्लाह ईश्वर सब साथ कहें।
इंसानियत का धर्म बस प्यार,
न रहे कोई मजहब की दीवार।

Language: Hindi
1 Like · 297 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*बना शहर को गई जलाशय, दो घंटे बरसात (गीत)*
*बना शहर को गई जलाशय, दो घंटे बरसात (गीत)*
Ravi Prakash
" हम तो हारे बैठे हैं "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
अमृत वचन
अमृत वचन
Dinesh Kumar Gangwar
कुछ दुआ की जाए।
कुछ दुआ की जाए।
Taj Mohammad
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,
तेरी मीठी बातों का कायल अकेला मैं ही नहीं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
नव वर्ष
नव वर्ष
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मुश्किलों से क्या
मुश्किलों से क्या
Dr fauzia Naseem shad
अंहकार
अंहकार
Neeraj Agarwal
"" *स्वस्थ शरीर है पावन धाम* ""
सुनीलानंद महंत
■ समझने वाली बात।
■ समझने वाली बात।
*Author प्रणय प्रभात*
एकाकीपन
एकाकीपन
लक्ष्मी सिंह
बल से दुश्मन को मिटाने
बल से दुश्मन को मिटाने
Anil Mishra Prahari
3066.*पूर्णिका*
3066.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
विरह
विरह
Neelam Sharma
फोन:-एक श्रृंगार
फोन:-एक श्रृंगार
पूर्वार्थ
** लिख रहे हो कथा **
** लिख रहे हो कथा **
surenderpal vaidya
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
चाय बस चाय हैं कोई शराब थोड़ी है।
Vishal babu (vishu)
गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
गुजरे हुए लम्हात को का याद किजिए
VINOD CHAUHAN
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
बेटिया विदा हो जाती है खेल कूदकर उसी आंगन में और बहू आते ही
Ranjeet kumar patre
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
Rj Anand Prajapati
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
जगतगुरु स्वामी रामानंदाचार्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शायरी - संदीप ठाकुर
शायरी - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*
*"माँ वसुंधरा"*
Shashi kala vyas
"जेब्रा"
Dr. Kishan tandon kranti
* आस्था *
* आस्था *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
कर ले प्यार
कर ले प्यार
Ashwani Kumar Jaiswal
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
*हिंदी हमारी शान है, हिंदी हमारा मान है*
Dushyant Kumar
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
सर्दी और चाय का रिश्ता है पुराना,
Shutisha Rajput
Loading...