मजबूत रिश्ता
एक पल को मोहताज नहीं,
जीवन मे एहसास नहीं,
सदियों से नहीं बिखर सका,
रिश्ते मे कुछ खास है बाकी।
कैसा भी हो,
कुछ भी हो अनबन,
छुपा हुआ है राज दफ़न,
रिश्ते के खातिर साध मन।
मजबूत बना एहसासों को छू कर,
हृदय की धड़कन साँसो से जुड़कर,
जीते जी आँखों मे बसता,
लहू से नहीं होता एक रिश्ता।
प्रीत रीत सम्मान बारिक,
त्याग तप धैर्य से हो मीत,
परवाह करते रहते जो,
अटूट विश्वास मजबूत रिश्तों की नीव।
रचनाकार –
मौदहा हमीरपुर।