Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Jul 2024 · 1 min read

*मजदूर*

भूगगन में काम कर, पाताल में सुरंग बनाई।
चट्टानें तोड़ी और रूक मोड़े, रेल लाइन भी बिछाई।
नहीं मानी कभी मैंने, किसी कार्य से हार,
बनाता ताजकिला तक, होता शहंशाह का प्रचार।।
झुके हिमालय हमारे आगे,
मेहनत करें हम न हारें।
हमने दिन रात एक किया है,
तोड़फोड़ निर्माण किया है।।
इच्छाएंँ हमारी बहुत है बाकी,
तिहाड़ी मिले वो नहीं है काफी।
न कभी मैं काम से हारा,
लेकिन नाम तुम्हारा काम हमारा।।
काम करूंँ बन जाता झूला,
तब जाकर घर जलता चूल्हा।
फिर भी हम मजबूर हैं,
दुर्भाग्य हम मजदूर हैं।।

2 Likes · 42 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dushyant Kumar
View all
You may also like:
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
*निकला है चाँद द्वार मेरे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बिटिया !
बिटिया !
Sangeeta Beniwal
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
कितना हराएगी ये जिंदगी मुझे।
Rj Anand Prajapati
तुम गर मुझे चाहती
तुम गर मुझे चाहती
Lekh Raj Chauhan
ग़ज़ल _ मुझे मालूम उल्फत भी बढ़ी तकरार से लेकिन ।
ग़ज़ल _ मुझे मालूम उल्फत भी बढ़ी तकरार से लेकिन ।
Neelofar Khan
माँ
माँ
Dr Archana Gupta
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
*बहती हुई नदी का पानी, क्षण-भर कब रुक पाया है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
प्रेम, अनंत है
प्रेम, अनंत है
हिमांशु Kulshrestha
दिलकश
दिलकश
Vandna Thakur
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
हो कहीं न कहीं ग़लत रहा है,
Ajit Kumar "Karn"
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
मोहब्बत में जीत कहां मिलती है,
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
*......हसीन लम्हे....* .....
*......हसीन लम्हे....* .....
Naushaba Suriya
रुई-रुई से धागा बना
रुई-रुई से धागा बना
TARAN VERMA
"देह एक शीशी सदृश और आत्मा इत्र।
*प्रणय प्रभात*
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
मुक्तक – शादी या बर्बादी
Sonam Puneet Dubey
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
दुखता बहुत है, जब कोई छोड़ के जाता है
Kumar lalit
सुहागन की अभिलाषा🙏
सुहागन की अभिलाषा🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ఇదే నా భారత దేశం.
ఇదే నా భారత దేశం.
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
"बेखुदी "
Pushpraj Anant
"आज का दुर्योधन "
DrLakshman Jha Parimal
बीता कल ओझल हुआ,
बीता कल ओझल हुआ,
sushil sarna
दिन में रात
दिन में रात
MSW Sunil SainiCENA
तेरा साथ है कितना प्यारा
तेरा साथ है कितना प्यारा
Mamta Rani
“कभी कभी ऐसा होता है….
“कभी कभी ऐसा होता है….
Neeraj kumar Soni
"दान"
Dr. Kishan tandon kranti
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
आजकल लोग बहुत निष्ठुर हो गए हैं,
ओनिका सेतिया 'अनु '
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
यूँ हर एक चेहरे में मत ढूँढो तुम मुझको पूर्ण विद्रोही कलमकार
पूर्वार्थ
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
वो हर खेल को शतरंज की तरह खेलते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Loading...