मजदूर
क’रोड़ों के घर बनाता है वो,
और, रोड़ों पर रहता है वो।
लोगों के सपने सच करता है वो,
खुद के सपने आँखों में रखता है वो।
घर पा कर लोगों को मुस्कुराते देखता है वो,
जीवन भर खुद एक हँसी को तरसता है वो।
क’रोड़ों के घर बनाता है वो,
और, रोड़ों पर रहता है वो।
लोगों के सपने सच करता है वो,
खुद के सपने आँखों में रखता है वो।
घर पा कर लोगों को मुस्कुराते देखता है वो,
जीवन भर खुद एक हँसी को तरसता है वो।