मजदूर
हाँ, मैं एक मजदूर हूँ ,
मजदूरी मेरा सहारा है ,
मैं मेघपुष्प से नहीं ,
स्वेद से स्नान करता हूँ।
मजदूरों को सम्प्राप्ति हजार बद्दुआ ,
यह बद्दुआएं भी वह सह लेते हैं ,
पर न छोड़ते अपनी मजदूरी को ,
मजदूरी ही हमारा जीवन सहारा है।
मजदूर के अलावा कोई न कार्य ,
होता इस विख्यात भव – जगत में ,
हमारे देश की अभिवृद्धि करने में ,
परिपूर्ण योगदान होता मजदूरों का।
मजदूरों की मेहनत को अवलोको ,
इतनी मेहनत ना करता कोई ,
चाहे भले हो बड़े पदाधिकारी ,
कड़ी मेहनत को देखकर यह ,
प्रचुर दूरियाँ स्थिर कर लेते है।
कोई दिल से तो कोई पैसों से ,
पर होते सभी यहाँ अमीर हैं ,
दूसरों की विपत्तियों को ,
पैसेवाले नहीं दिलवाले ही ,
बारीकी से समझते हैं उन्हें ,
वही हमारे मजदूर भाई।
✍️✍️✍️उत्सव कुमार आर्या
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय ,बिहार