मजदूर सदा कहलाता हूँ
लावणी छंद
“”मजदूर सदा कहलाता हूँ””
★★★★★★★★
कंधे पर मैं बोझ उठाकर,
काम सफल कर जाता हूँ।
निज पैरों पर चलने वाला,
मैं मजदूर कहाता हूँ।
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नहीं काम से डरा कभी मैं,
हरदम आगे चलता हूँ।
दुनिया को रौशन करने को,
दीपक जैसे जलता हूँ।
रोक नहीं कोई पाता,
है,जब अपने पर आता हूँ।
निज पैरों पर चलने वाला,
मैं मजदूर कहाता हूँ।
★★★★★★★★★
नदियों पर मैं बाँध बनाता,
मैं ही रेल बिछाता हूँ।
कल पुर्जे हैं सब मुझसे ही।
सब उद्योग चलाता हूँ।
फिर भी मैं संतोष धार कर,
गीत खुशी के गाता हूँ।
निज पैरों पर चलने वाला,
मैं मजदूर कहाता हूँ।
★★★★★★★★★
डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना (छत्तीसगढ़)
मो. 8120587822