मजदूर बिना विकास असंभव ..( मजदूर दिवस पर विशेष)
सुनो आलीशान कोठियों में रहने वालों !
रहते हो जहां तुम बड़े शान से ।
बनाई गई है इन्हीं मजदूरों की मेहनत ,
और दिन रात बहने वाले खून पसीने से ।
यह बड़े बड़े होटल जहां तुम ,
अति उत्तम भोजन का लुत्फ उठाने जाते हो ।
जीवन में शायद ही कभी सुख लें सके इनका,
वोह गरीब मजदूर जिनको हेय तुम समझते हो ,
यह भी कठिन परिश्रम का फल है इनका ।
घर ,मकान ,होटल , इमारते ,खेल खलिहान ,
या कोई भी भवन निर्माण या पूल ।
किसी भी शहर के विकास के चिन्ह है जो ,
बिना मजदूरों के सहयोग से संभव नहीं ,
मगर स्वयं विकास के लाभ से रहते हैं गुल।
जाने कहां कहां से दूर दराज के गांवों ,
कस्बों से आते है शहर में कई सपने लिए ।
अभिजात्य वर्ग हेतु आलीशान मकान बनाते ,
खुद एक झोपड़ी भी नसीब नहीं होती रहने के लिए ।
कारखानों में भी जी तोड़ काम करते ,
मगर पगार में पाते चंद पैसे ।
ना जाने कैसे इनका गुजारा होता होगा ,
जिंदगी चलती होगी जैसे तैसे।
पुरुष और महिला और कभी कभी ,
नन्हे बच्चे भी मजदूरी करते है दिखते ।
सुबह शाम काम कर बेचारे ,
थके मंदे कई बार भूखे ही सो जाते ।
जिनके दम पर देश के विकास खड़ा,
करती है सरकार इन्हीं को अनदेखा क्यों ?
देश के नागरिक हैं यह भी ,मतदान करते हैं,
फिर करती है मूलभूत सुविधाओं से इन्हें वंचित क्यों ?
मजदूर विकास की नींव ,
इसे मजबूत बनाना सबका कर्तव्य है ।
कल्पना भी नहीं कर सकते अपनी खुशहाली की ,
जब तक मजदूर न हो सुखी यही सत्य है ।