मजदूर दिवस पर एक सच्ची घटना —आर के रस्तोगी
सब जानते आज एक मई है |
यह जानते मजदूर दिवस है ||
आज जो मैंने एक घटना देखी |
उसको कलम लिखने को विवश है ||
एक गरीब मजदूर महिला |
एक भट्टे पर रो रही थी ||
सिर पर अपने ईटे ढो रही थी |
पर असल में गरीबी ढो रही थी ||
उसका एक बच्चा सो रहा था |
दूसरा दूध के लिये रो रहा था ||
आगर वह बच्चे को दूध पिलाती |
तो वह खड़े मुंशी की मार खाती ||
इसलिए वो झाड़ियों के पीछे |
पेशाब करने के बहाने जाती ||
और अपने बच्चे को दूध पिलाती |
वह गरीब मजदूर महिला पेट से थी |
उसकी डिलीवरी की डेट नजदीक थी ||
वह मुंशी से गिदगिड़ा रही थी |
दो दिन की छुट्टी मांग रही थी ||
छुट्टी के बदले गन्दी गालियाँ दे रहा था |
उसको अनाप सनाप भी बक रहा था ||
जैसे ही उसने कुछ ईटे उठाई |
वह प्रसव पीड़ा से चिल्लाई ||
दे दिया एक बालक को जन्म |
पर वह मौत से न बच पाई ||
देख कर बच्चे भी रोने लगे |
और मरी माँ से चिपटने लगे ||
हम हर वर्ष मजदूर दिवस मनाते रहेगे |
इस तरह मजदूरों की जान गवाते रहेंगे ||
ऐसे मजदूर दिवस मनाने का क्या फायदा ?
जहाँ महिला को मारने का ऐसा हो कायदा ||
आर के रस्तोगी
पालम विहार गुडगाँव