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1 May 2024 · 1 min read

मजदूर की मजबूरियाँ ,

मजदूर की मजबूरियाँ ,
प्रतिदिन के हैं दंश ।
अर्थ अर्जन में झोंकता,
अपना सारा वंश ।।

सुशील सरना /1-5-24

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