मगर वो लोग अभी तक आपने देखे नहीं होंगे
ज़मीं पर जब कहीं भी लोग दिल वाले नहीं होंगे
फ़लक पर चाँद सूरज कहकशाँ तारे नहीं होंगे
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बताऊँ मैं तुम्हें क्यूँ आज कल ग़ज़लें नहीं होतीं
दिलों में फूल होंगे पाँव में कांटे नही होंगे
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किसी से दिल लगा कर इस क़दर तुम मुस्कुराते हो
ये कैसे मान बैठे हो कि अब चर्चे नहीं होंगे
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वही जिनको मेरे दिल के समन्दर से गुज़रना है
वो सपने झील सी आँखों में तो उतरे नहीं होंगे
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जिन्हें बस देखते ही प्यार हो जाता है सालिब जी
मगर वो लोग अभी तक आपने देखे नहीं होंगे