मगर मैं हैरान नहीं हूं
बदल गई है दुनिया
बदल गए है लोग
जैसा चाहती है दुनिया
वैसे हो गए है लोग
मगर मैं हैरान नहीं हूं ।।
वो जो मिलते थे कभी
गले लगकर बड़े प्यार से
अब वो बड़े आदमी हो गए है
बस दूर से हाथ हिलाते है
मगर मैं हैरान नहीं हूं ।।
हरे भरे से थे जो बाग
महकते थे भंवरे जिसमें
अब वहां बस सूखे पेड़
ही नजर आ रहे है
जो खुद तरस रहे है छावं को
मगर में हैरान नहीं हूं ।।
वो नन्हे नन्हे हाथ जो
सहारा ढूंढते थे चलने के लिए
आज वो सहारा उन्हें
बंधन लग रहा है
मगर मैं हैरान नहीं हूं ।।
जिसने साथ जीने के
सपने दिखाए हमेशा मुझे
वो किसी और के साथ
उन सपनों साकार कर रहे है
मगर मैं हैरान नहीं हूं ।।
होता था जो बचपन
खेलने कूदने के लिए
आज वो बचपन कहीं
इंटरनेट और किताबों
के बोझ में खो गया है
मगर मैं हैरान नहीं हूं ।।
मिलती थी जो खुशी
जरूरतमंद की मदद में
आज किसी की मदद करना
सिर्फ ज़रूरत बन गई है
मगर में हैरान नहीं हूं ।।