मकर-संक्रांति
**** मकर-संक्रांति*****
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मकर-संक्रांति पर अरदास,
गुड़-चीनी जैसी हो मिठास।
कभी न कोई आए तूफान,
पतंग जैसी हो ऊँची उड़ान।
तिल लडडू मिलकर खाएं,
पुलकित हर्षित पर्व मनाएं।
फूलों सी खिले माँ-भारती,
भारतवासी उतारें आरती।
मुख मुखरित न हो तेवड़ी,
खाएं मिल मूंगफली रेवड़ी।
माने मकर वैज्ञानिक त्योहार,
सूरज-शनि की कृपा अपार।
मनसीरत मन मंदिर में प्यार,
मुबारक मकर पर्व सत्कार।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)