मकर संक्रांति
वर्ष का पहला त्यौहार मकर संक्रांति
इससे ही आती है शांति और क्रांति
चुन्नू मुन्नू मम्मी पापा दादा दादी जाते मेले
जहां दुकानें सजी धजी और झूले भी अलबेले
पावन नदियों में स्नान पूजन से होते सभी कृतार्थ
मेले में अपनों से मिलकर जीवन होता यथार्थ
सभी जन मेला जाते नाचते गाते हिल मिलकर
गुड़ तिल के लड्डू और लाई खाते मिलजुल कर
बच्चे बड़ी उमंग से पतंग उड़ाते पेंच लड़ाते
कट जाती जब कोई पतंग लूट उसे ले जाते
ओम कहां अब वैसे मेले सोशल मीडिया में सभी अकेले
मोबाइल टीवी में दुनिया दिख जाती फिर क्यों जाएं मेले
ओम प्रकाश भारती ओम्