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3 Jun 2022 · 1 min read

मंदिर हमारे जो भी हैं अधिकार चाहिए।

गज़ल
काफ़िया- आर
रद़ीफ- चाहिए।

221…….2121…….1221…….212
मंदिर हमारे जो भी हैं अधिकार चाहिए।
बदला है जिसने इनको गुनहगार चाहिए।

कुछ लोग लालची थे जो उनमें ही मिल गए,
हकदार हैं सजा के वो मक्कार चाहिए।

घर को हमारे तोड़ के दुश्मन है घुस गया,
अब हमको चौकीदार भी दमदार चाहिए।

आँखों मे आँखें डाल के जो मुस्कुरा सकें,
इंसान को इँसान मे भी प्यार चाहिए।

महगाई रोजगार से मतलब नहीं उन्हें,
कुर्सी उन्हें किसी भी तरह यार चाहिए।

लालच व लोभ जिसको कभी छू नहीं सकें,
लिखने को खुद जमीर भी खुद्दार चाहिए।

आता है उनके बाहों हर रोज चाँद भी,
सूरज भी उनको साथ मे तैयार चाहिए।

प्रेमी हैं हम तो प्यार पे मरते ही रहेंगे,
हमको तो प्यार प्यार बेशुमार चाहिए।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

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