Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Jan 2024 · 1 min read

मंदिर बनगो रे

पाए आस्था हिलोर
मन हो गया विभोर
रामलल्ला का किलोल
भक्ति मारे सबकी जोर
सारे जग मे अब यह शोर
मंदिर बनगो रे , रे मंदिर बनगो रे

यह तो राम की है माया
अयोध्या को फिर चमकाया
प्रेम संदेशा हर घर पंहुचाया
भक्ति रस से है नहलाया
जय श्रीराम सबने गाया
मंदिर बनगो रे , रे मंदिर बनगो रे

आजादी की अमृत बेला
कैसा अद्भुत है यह मेला
कोई कैसे रहे अकेला
बढ़ता खुशियो का यह रेला
हो रहा राम राज बसेरा
मंदिर बनगो रे , रे मंदिर बनगो रे

गुबंज से उंचे संस्कार
प्रेम बांहे फैलाए विस्तार
गहरे ज्ञान सी बुनियाद
भव्य इसका है सत्कार
मिलजुल जीने की आवाज
मंदिर बनगो रे , रे मंदिर बनगो रे

राम नही बस एक नाम
मर्यादा मे जीने का भान
सही राह दिखाए भगवान
जिससे सब पाए सम्मान
और जिए सुख से हर इंसान
मंदिर बनगो रे , रे मंदिर बनगो रे

संदीप पांडे “शिष्य” अजमेर

2 Likes · 120 Views
Books from Sandeep Pande
View all

You may also like these posts

गुस्सा सातवें आसमान पर था
गुस्सा सातवें आसमान पर था
सिद्धार्थ गोरखपुरी
पंक्तियाँ
पंक्तियाँ
प्रभाकर मिश्र
कृतघ्न अयोध्यावासी !
कृतघ्न अयोध्यावासी !
ओनिका सेतिया 'अनु '
मसान.....
मसान.....
Manisha Manjari
​दग़ा भी उसने
​दग़ा भी उसने
Atul "Krishn"
आत्म मंथन
आत्म मंथन
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
" अदा "
Dr. Kishan tandon kranti
#तू वचन तो कर
#तू वचन तो कर
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
मेरी हास्य कविताएं अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
4476.*पूर्णिका*
4476.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*यातायात के नियम*
*यातायात के नियम*
Dushyant Kumar
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
ग़म हमें सब भुलाने पड़े।
पंकज परिंदा
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Dr.Priya Soni Khare
त्वमेव जयते
त्वमेव जयते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ऑंधियों का दौर
ऑंधियों का दौर
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
नव्य द्वीप का रहने वाला
नव्य द्वीप का रहने वाला
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
हाँ ये सच है
हाँ ये सच है
Saraswati Bajpai
सद्विचार
सद्विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
कोई विरला ही बुद्ध बनता है
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
भविष्य के सपने (लघुकथा)
भविष्य के सपने (लघुकथा)
Indu Singh
कटु दोहे
कटु दोहे
Suryakant Dwivedi
"Know Your Worth"
पूर्वार्थ
श्रम करो! रुकना नहीं है।
श्रम करो! रुकना नहीं है।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
बेशक मां बाप हर ख़्वाहिश करते हैं
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
जो तुम्हारी ख़ामोशी से तुम्हारी तकलीफ का अंदाजा न कर सके उसक
इशरत हिदायत ख़ान
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
बाप ने शादी मे अपनी जान से प्यारा बेटी दे दी लोग ट्रक में झा
Ranjeet kumar patre
प्रीति
प्रीति
Rambali Mishra
*आओ हम वृक्ष लगाए*
*आओ हम वृक्ष लगाए*
Shashi kala vyas
महिला दिवस
महिला दिवस
ललकार भारद्वाज
Loading...