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14 May 2023 · 1 min read

मंतर मैं पढ़ूॅंगा

कुछ कायर किस्म के वीर
जंग तो अक्सर लड़ते हैं
पर हित अपना साधते हैं
और उपयोग औरों का करते हैं
अगला उनसे संकेत पाकर
कदम बढ़ाता है
पर कितने जोखिम में है
यह जान नहीं पाता है
हमारे भी एक सहयोगी
बड़े ही सज्जन थे
मीठी बातों से दिल बहलाते थे
बंदूक हमेशा
दूसरों के कंधों पर रखकर चलाते थे
दिखते थे जीवित
पर भीतर से मर चुके थे
मेरा भी दो-चार बार उपयोग कर चुके थे
एक बार उनकी बाॅस से हो गई लड़ाई
उन्होंने अपनी वही पुरानी युक्ति भिंड़ाई
मैंने कहा— सर!
अब मैं दोबारा गफलत में नहीं पड़ूॅंगा
बिल में हाथ आप डालिए
मंतर मैं पढ़ूॅंगा।

1 Like · 308 Views
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