मंटू और चिड़ियाँ
बाल कहानी- मंटू और चिड़िया
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बारिश का दिन था। सब तरफ हरा-भरा खूबसूरत नज़ारा था। मंटू खिड़की के पास चुपचाप बैठा बाहर की ओर देख रहा था कि कैसे बारिश बन्द हो और वह दोस्तों के साथ बाहर खेलने जाये।
अचानक उसकी नज़र आँगन की तरफ़ पड़ी। उसे कुछ गिरने की आवाज़ सुनायी दी। मंटू आँगन की तरफ़ दौड़कर गया तो उसने देखा कि एक खूबसूरत सी चिड़िया भींगी-सी नीचे पड़ी है। वह अपने भींगे-भींगे परों से उड़ने का प्रयास कर रही थी, पर वह जमीन पर बार बार गिर रही है। मंटू को लगा कि चिड़िया शायद घायल है, पर मंटू ने जब चिड़िया को गोद में उठाया तो वह पल में समझ गया कि चिड़िया घायल नहीं बल्कि भींगी है, इसलिए ठण्ड से कँपकपा रही हैं। मंटू ने तुरन्त तौलिया उठाया और चिड़िया को अच्छी तरह से पोंछ दिया।
कुछ देर बाद चिड़िया चहचहाने लगी। मंटू ने चिड़िया को दाना पानी दिया। चिड़िया चूँ-चूँ करते खूब मस्ती से खाने-पीने लगी, जैसे वह मंटू को बहुत दिनों से जानती हो। मंटू को भी चिड़िया का साथ बहुत पसन्द आया।
मंटू और चिड़िया कुछ देर एक-दूसरे के साथ खेलते रहे। कुछ देर बाद मंटू ने चिड़िया को एक बड़े से डब्बे मे बन्द कर दिया और डब्बे के अन्दर छोटे-छोटे छेद कर दिये ताकि चिड़िया को हवा लग सके। पर जैसे ही चिड़िया डब्बे में कैद हुई। चिड़िया खामोश होकर चुपचाप बैठ गयी। मंटू के लाख आवाज देने पर चिड़िया ने जवाब नहीं दिया।
मंटू ने चिड़िया को डब्बे के अन्दर झाँककर देखा तो उसे चिड़िया दुःखी दिखाई दी। मंटू से रहा नहीं गया। मंटू ने चिड़िया को डब्बे से बाहर निकालकर हाथ से पकड़ लिया। चिड़िया फिर चूँ-चूँ करने लगी। चिड़िया को चूँ-चूँ करते देख मंटू समझ गया कि चिड़िया अपने घर जाने को कह रही है। मंटू ने खुशी-खुशी चिड़िया को आजाद कर दिया।
शिक्षा
हमें हमारे परिवेश में संकट में पड़े किसी भी प्राणी की सदैव सहायता और रक्षा करनी चाहिए।
शमा परवीन
बहराइच (उत्तर प्रदेश)