मंजिल
दुनियाँ
इक फ़साना है
है भटकाव
राहों में
एक ही
मंजिल तलक
पहुँचना है
सब को
जहाँ से
वापस नहीं
आना है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल
दुनियाँ
इक फ़साना है
है भटकाव
राहों में
एक ही
मंजिल तलक
पहुँचना है
सब को
जहाँ से
वापस नहीं
आना है
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल