मंजिल
मंज़िल
जिसमें मुसाफिर भी हैं हम तुम
कारवां भी है साथ ही
हमसफ़र भी है,हम प्याला भी हैं
मुकाम भी है,पूर्णता भी हैं
कदम बढ़ाते जाना है आगे आगे ही
मंजिलों को पाते जाना है साथ चलते जाना है
बस यूँ ही अपनी मंज़िल को पाना हैं
इस जीबन सफ़र में हरदम
परेशानियों का साथ होगा पर हमको फिर भी
हौसला बनाये रखना होगा अपनो कर साथ मिलकर
ग़मों की बरसात का स्वागत भी करना होगा
बच कर रहना हैं खुद ही गलत राह मिल न जाये
कहीं लूट न लें तुझको तेरा अपना बनके कोई
ये साथ सफ़र को जो निकले तेरे कहीं साथ ये न छोड़े
उलझन मिलेंगी बहुत ठोकरें गिराएंगी खुद ही
राहें भी आजमाएंगी तू जिस ओर भी चलेगा
हरकतें तेरी सारी साथ होकर ही चलेंगी
असलियत साथ होगी सत्य राह जो दिखाएंगी,
संभाल कर रखना कदम जीवन सफर कठिन हैं
पथ पथरीले हैं,क्योंकि सत्यपथ कठिन हैं
सम्भल कर चलना होगा अन्यथा तकलीफें ही बढ़ेंगी।
डॉ मंजु सैनी