मंजिल ही निशा है ।
रास्तों की परवाह नहीं
मालूम नहीं कोन दिशा है
आगे बो बड़ा है जिन्दगी में
जो चंदन की तरह पिसा है
तब जाके बो माथे पे सजा है ।
बस मंज़िल मेरा निशा है ।
बस मंजिल मेरा निशा है ।
रास्तों की परवाह नहीं
मालूम नहीं कोन दिशा है
आगे बो बड़ा है जिन्दगी में
जो चंदन की तरह पिसा है
तब जाके बो माथे पे सजा है ।
बस मंज़िल मेरा निशा है ।
बस मंजिल मेरा निशा है ।