मंजिल तक का संघर्ष
अगर लिखनी है तकदीर इतिहास में
तो क्या धूप और क्या छाँव ,
मंजिल तक का सफ़र सिर्फ़ संघर्ष परखेगा…..
कोशिश कर मुसाफिर और आगे बढ़
क्योकिं जिंदगी का का सफ़र इतना सरल नहीं है
जिंदगी के सफ़र में काँटे भी आयेंगे ,
कठोर चट्टाने भी आयेगी ……….
काँटो को हटाकर,चट्टानों को तोड़कर
रास्ता बनाकर चलना पड़ेगा
मुश्किलें भी आयेगी झेलनी भी पड़ेगी
संघर्ष भी करना पड़ेगा ……….
सिर्फ़ तीन बातो को ध्यान में रखना पड़ेगा
खुद पर विश्वास,मजबूत इरादा
और मेहनतकश कार्य
तभी तो सफ़ल व्यक्ति की श्रेणी में गिने जाओगे !!
प्रवीण सैन नवापुरा ध्वेचा,
बागोड़ा (जालोर)