मंजिलों की ओर
* गीतिका *
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मंजिलों की ओर बढ़ना है हमें।
शक्ति का प्रतिमान बनना है हमें।
भोर की पहली किरण के साथ ही,
लक्ष्य हित प्रस्थान करना है हमें।
शक्तिशाली बाज की परवाज़ है,
हर कदम नव जोश भरना है हमें।
लालिमा रक्तिम लिए पूरब दिशा,
दें रही संदेश जगना है हमें।
हर कठिन बाधा झुकेगी अब स्वयं,
भावनाओं में नहीं बहना हमें।
हो नहीं मतभेद समरस भाव हो,
इस जहां में सब कहें अपना हमें।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हिमाचल प्रदेश)