मंज़िल की ओर
छूना है गगन एक दिन
होगी वही मंजिल मेरी
किया है जो सफर शुरू
रुकेगा जब मिलेगी मंजिल मेरी।।
राह में आएंगे पड़ाव कई
एक एक कर पार करेंगे
जो चाहेगा साथ चलना
सबको साथ लेकर चलेंगे।।
मिलकर विपरीत परिस्थितियों
को भी अनुकूल बनाएंगे हम
होंगे गर एकजुट तो निश्चित ही
एक नया इतिहास बनाएंगे हम।।
होगी बाधाएं कई राह में
डटकर सामना करेंगे उनका
पार करेंगे उन बाधाओं को
जीत से स्वागत करेंगे उनका।।
जानता हूं, है राह कठिन
कभी हार भी हाथ लगेगी
लेकिन रहेंगे संघर्षरत हम
जबतक जीत नहीं मिलेगी।।
छोटे छोटे पड़ावों को
पारकर खुशियां मनाएंगे
चलते रहेंगे मिलकर
और जय गीत गुनगुनाएंगे।।
हर कदम हौसला एक
दूसरे का हम बढ़ाएंगे
होगी ज़रूरत एक दूसरे
का हाथ भी हम बटाएंगे।।
थमने नहीं देंगे, रुकने नहीं देंगे
इस कारवां को आगे हम बढ़ाएंगे
किया है प्रण, दम लेंगे तभी हम
जब सबको मंज़िल तक पहुंचाएंगे।।