भ्रस्टाचार की लूट
भ्रस्टाचार की लूट है
लुट सको तो लुट,
अंत समय पछतायेगा
जब प्राण जाएंगे छूट।
प्राण जाएंगे छूट
बनी रहेगी यही लालसा
हाय !, लूट न पाया कुछ भी
अधूरी रही अभिलाषा ।
लूटन की है लूट मची
सबल निर्बल को लूटै
मंत्री, नेता , अधिकारी , चपरासी
लूटन में एकउ न छूटै ।
कह कविराज मची है लूटन की लूट
लूटत रहौ जबतक प्राण न जावै छूट।