भ्रष्टाचार
जय परमानन्दी जगत कल्याणी।
सिद्धि सिन्धु परमार्थ परायणी।
जय हो जगत व्यापिनी माया।
ऐश्वर्य प्रदाती रिश्वत रुपी काया।।
जय हो प्रेयसी निर्गुण विशेषी।
कलिवंशी विषय समवेशी।।
गौरवशालिनि रक्तसंचारिनी।
अविनाशिनी प्रतिहारिनी।।
जय चमत्कारिनी शक्ति।
जय हो प्रपंचिनी प्रवृति।।
अगुणित अनुपाती संवृत्ति।
महिमामंडित जगत अनुभूतिनी।।