भ्रष्टाचार
भ्रष्टाचार मतलब दूषित और निंदनीय आचरण। निजी या सार्वजनिक जीवन के किसी भी स्थापित और स्वीकार्य मानक का चोरी-छिपे उल्लंघन भ्रष्टाचार है। विभिन्न मानकों और देशकाल के हिसाब से गलत कार्यशैली अपनाकर रुपये कमाना ही भ्रष्टाचार की परिभाषा है। आज हमारे देश में भ्रष्टाचार गली, नुक्कड़ से सरकारी दफ्तरों से होते हुए राजनेताओं की कुर्सी में फेविकोल की तरह चिपका हुआ है। लोग जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए सत्य मार्ग को छोड़कर भ्रष्ट नीतियों का अनुसरण करते है। उदाहरण के लिए प्रमोशन पाने के लिए रिश्वत, नौकरी पाने के लिए रिश्वत, कोर्ट में अपनी जीत पक्की करने के लिए रिश्वत, अच्छे कॉलेज में दाखिला लेने के लिए रिश्वत इत्यादि। रिश्वतखोरी का आलम यह है कि इसके सामने सभी सरकारी तंत्र नतमस्तक हो जाता है। आजकल लोगों के मस्तिष्क में ये बात फिट हो गयी है कि सही तरीके से तरक्की नही हो सकती, तो क्या करें? रिश्वतखोरी।
भ्रष्टाचार समाज में संक्रमण की तरह फैला हुआ जिससे आम जनता आये दिन संक्रमित हो रही हैं। प्रतिदिन भ्रष्टाचार के मामले किसी न किसी रूप में देखने को मिल रहे है। मानव जीवन का कोई भी क्षेत्र भ्रष्टाचार से मुक्त नही है।
भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपनी स्वार्थसिद्धि के लिए देश का नाम बदनाम करते है। ऐसे लोगों के ऊपर सरकार को प्रभावी कदम उठाने होंगे।
समाज से भ्रष्टाचार को कैसे दूर करें इसपर बड़े-बड़े विद्वानों का मानना है कि कठोर दण्ड प्रावधान से हम भ्रष्टाचार को रोक सकते। लेकिन मेरा मानना यह है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों को जाग्रत करना होगा। न भ्रष्टाचार करेंगे न ही भ्रष्टाचार करने देंगे के सिद्धांत को अपने जीवन मे स्वकृती देनी होगी।
आलोक पाण्डेय गरोठ वाले