भ्रष्टाचारी शिक्षातंत्र
क्यों शिक्षा हो गई भ्रष्टाचारी,
आज पूछ रहा हैं शिक्षाधारी
शिक्षा एक अध्यात्म रूप है,
दिब्य कर्म भक्ति स्वरूप है ।।
शिक्षा क्षेत्र व्यापार बन गया
कौन नहीं इससे है परिचित
मेधा भटक रही सड़कों पर
नेता घर में रहें सुरक्षित ।।
मूर्ख बनाते ये जन- जन को
मीठी वाणी, कर्म घिनौने
अपराधी को दंडित करके
न्याय करें शिक्षा के घर में ।।
छात्रों का भविष्य सुन्न अब
कहां छुपा है आज प्रशासन
भ्रष्ट आचरण की असीमता
क्रोध ज्वार से भरा तरूण मन ।।
(नीता)