भ्रष्टाचारी आसान नहीं है
(ग़ज़ल/नज़्म — भ्रष्टाचारी आसान नहीं)
ये रिश्वतखोरी, भ्रष्टाचारी का, काम बहुत आसान नहीं है,
मेहनत है दिन-रात की, दिलो-दिमाग में आराम नहीं है ।
जिस काम को लेता हूँ हाथ में, ईमानदारी से करता हूँ,
पर लोगों को लगता है जैसे, इसमें कोई ईमान नहीं है ।
मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, माथा टेकता हूँ आते-जाते,
मैं नहीं मानता के जग में, बसते कहीं भगवान नहीं हैं ।
लोगों से खुद को छुपाने में, अच्छी-खासी उम्र खपा दी,
सालों से अपने घर के मैंने, खोले खिड़की-ओ-रोशनदान नहीं हैं ।
ये सच है के जल्दी ही मैंने, तिजोरियाँ अपनी भर ली,
पर मेरे पसीने की बूंदों के, उनमें कहीं निशान नहीं है ।
मेरे शहर में मेरे इर्द-गिर्द, लोगों की भीड़ खूब लगने लगी,
पर उनमें से मेरा कोई, रिश्तेदार ओ’ मेहमान नहीं हैं ।
कितने मुंह उतरेंगे पढ़के तुझे, तू चीं-चीं क्यूं कर रहा “अनिल”,
रोक नहीं पाएगा किसी को, धन से तू बलवान नहीं है ।
©✍?14/03/2021
अनिल कुमार “अनिल”
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