भ्रष्टाचारियों का अंतिम समय
व्यंग्य आलेख
भ्रष्टाचारियों का अंतिम समय
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भ्रष्ट आचरण से अपना और अपने नाम को नये उँचे मुकाम तक ले जाना बड़ी चुनौती का काम है, जिसे फिलहाल कर पाना आप की औकात से बाहर की बात है। अच्छा है आप तो ये सब सोचें ही न।
यह पुनीत काम हम जैसे बेशर्म, बेहया और मान अपमान से बेफिक्र लोग ही कर सकते हैं।आरोप प्रत्यारोप, थाना, पुलिस, कोर्ट, कचहरी, सजा, जेल इस क्षेत्र में जमने, अर्थ लाभ के लिए टूल किट जैसा है। वैसे भी बड़ा ईमानदार बनकर रहने वालों की दशा देखने के बाद अब ईमानदारी का भूत भी भाग दौड़ में लगा है, क्योंकि वो खुद कन्फ्यूज है, ईमानदारी का तमगा लटकाये कब कौन भ्रष्टाचार की गंगोत्री में डुबकी लगाता पकड़ में आ जायेगा। कुछ पता ही नहीं है वैसे भी ईमानदारी अब सिर्फ सिद्धांत के अलावा कुछ अहमियत नहीं रखता, कहीं भी इज्जत नहीं पाता। कोई उसे पास बैठाना भी नहीं चाहता , तो चाय नाश्ता के बारे में भला कोई सोचेगा, ऐसा अपवाद भर हो सकता है। क्योंकि उसका रहन सहन हमेशा ही अभावों वाली पृष्ठभूमि का हाथ थामे रहता है, न ढंग का घर, न कपड़े, न कमाई,। ऐसे में परिवार भी ईमानदार की ईमानदारी से कुढ़ता है, मगर बर्दाश्त कर जैसे तैसे तालमेल बिठाने का प्रयास करता है, मगर कब तक? सहन शक्ति जब जवाब दे जाती है तब तूफान आ जाता है और सारा सिद्धांत, मान सम्मान सब गौड़ हो जाता है।
चलिए सिक्के के एक और पहलू का आंकलन करते हैं, भ्रष्टाचारियों का अंतिम समय कैसा होता है? अब इसका भी अनुभव आपको नहीं है, तब आप सामाजिक तो बिल्कुल नहीं हो। वैसे भी आपको अनुभव होगा भी कैसे आपको तो ईमानदारी का जोंक चूस रहा है।
भ्रष्टाचारियों का अंतिम समय निहायत ही शानदार होता है जो जितना बड़ा भ्रष्टाचारी होगा उसकी चर्चा उतना ही ज्यादा होगा, मीडिया कवरेज ,टी बी डिबेट, आरोप,जांच, फरारी, बैंक खातों का संचालन रुक जाना,
विदेश भाग जाना, वापस न आना अंतिम समय का महत्वपूर्ण पहलू है। काले धन का आनंद मिलता है, सजा और जेल हो गई तो मजे ही मजे हैं। रहना खाना चिकित्सा, सुरक्षा आदि की पेंशन सरकार और प्रशासन के मत्थे। भ्रष्टाचारियों का अंतिम समय मजे में बीतता है। अपवादों की गांठ बांधकर न बैठें तो भ्रष्टाचारियों का सूकून ये भी है कि पुलिस एन्काउन्टर नहीं होगा।अंतिम समय व्यक्तिगत रुप से थोड़ा बहुत मानसिक शारीरिक कष्ट भले होता है, मगर अपने परिवार को सुविधा साधन संपन्न बनाने का पूरा होते उद्देश्य को देखते हुए प्रसन्नता का ही अनुभव ही होता है। यूं कहिए कि उनका अंतिम समय लगभग उनकी सोच के अनुरूप ही होता है। क्योंकि भ्रष्टाचारियों को अपने अंतिम समय का सबसे बेहतर आंकलन होता है।
आइए! हम सब ईमानदारी से भ्रष्टाचारियों के सुखमय अंतिम समय की शुभकामनाएं प्रेषित कर उनकी हौसला अफजाई कर अपने मानवीय संवेदनाओं का प्रमाण प्रस्तुत करें और भाईचारे की नींव मजबूत करें।जय भ्रष्टाचारी, जय भ्रष्टाचार, जीवित रहे ये शिष्टाचार।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित