-भ्रम में जीता है आदमी –
– भ्रम में जीता है आदमी –
सब है अपने कोई नही है पराया,
मेरे बिना इस जग में अपने न रह पाएंगे,
मेरे बिना इनका क्या होगा ऐसा सोचकर ही मर जाएंगे,
मे नही तो कुछ भी नही,
मेरे अपनो के जीवन में,
में हु तो सबकुछ है अपनो के जीवन में,
में हु तभी है यह संसार,
मेरी कमाई इस जहा में चिरस्थाई रह जाए,
में इस जहा में अजर अमर ही आया हु,
देखकर जमाने की रीत को तब भी भ्रम में रह जाए ,
इस दुनिया में जो आया है वो एक दिन दुनिया छोड़कर जाए,
मेरे तो कुछ नही होगा बस इसी भ्रम में गहलोत आज का इंसान जीया जाए,
✍️ भरत गहलोत
जालोर राजस्थान