प्रधान सेवक का स्वांग
हर विरोध को , आतंक कहते हो
हर सवाल को निराधार कहते हो
माना भ्रमित है देश की जनता
फिर अपनी जीत को
बदलाब का वोट कैसे कहते हो ..?
भ्रमित का वोट पाकर तुम
देश पर राज करते हो
वो धरना देते हैं सड़कों पर
तुम वीडियो कांफ्रेंस करते हो ।
बदलाब तुम चाहते हो देश में करना
हर मुलाजिम रिआया का
पेट और जेब को भरना
फिर रिआया के सबालों पर
क्यों तिलमिला जाते हो…???
प्रधान सेवक बोलकर तुम
क्या जताते हो
गले में डालकर गमछा
तुम चौकीदार बन जाते हो
क्या जरूरत है ऐसे स्वांग रचने की
भ्रमित है देश की जनता
वोट तो तुम भ्रमित बेसहुरों का
ऐसे ही पा जाते हो ।