भौर का नजारा
आओ देखे भौर का नजारा ।
यह है प्राकृति का सहारा ।।
बह रही है शुद्ध हवा ।
देखो बनकर एक दवा ।।
न धुँआ है न कोई धूल ।
महक रहे है देखो फूल ।।
यह भौर का नजारा है ।
प्रकृति का सहारा है ।।
पंछी उड़े पंख फैलाय।
देखो देखो मन को भाय ।।
पेड़ो के पत्ते झूम रहे ।
गीत खुशी के गा रहे ।।
सुखद सुहावनी यह भौर ।
नील गगन का नही छोर ।।
पूरब लालिमा लिए खड़ी ।
पश्चिम स्वागत करने को अड़ी ।।
जाग रहा है जग धीेरे धीरे ।
हल चल बड़ी है किनारे किनारे ।।
आओ देखे भौर का नजारा ।
यह है प्राकृति का सहारा ।।
।।।जेपीएल।।।