भोर
भोर हुआ, फैला उजियारा,
सूरज आया मिटा अँधियारा।
लालिमा घुली आसमान में,
चहके चिड़िया इस विहान में।
नीला घोड़ा दौड़ रहा उधर,
उत्तर से दक्षिण में ऊपर।
सर सर समीर मंद बह रही,
भोर की नई कथा कह रही।
महक रहा खूब गुलाब भी,
फूलों ने सजाई आबो हाब भी।
उठ जाओ प्यारे । देखो बाहर,
भोर लगती कितनी सुन्दर।।