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28 Aug 2024 · 1 min read

भोर सुनहरी

जब भोर सुनहरी आती है
स्वर्णिम किरणें ले आती है
आसमान और धरती की
शोभा कही ना जाती है
खिल जाते हैं सुमन धरा पर
कायनात मुस्काती है
शिखर सरोवर सरिताएं
वाग वगीचे वनमालाएं
सप्त स्वरों में गातीं हैं
जब भोर सुनहरी आती है
तम को दूर भगाती है
तारों को आगोश में ले
नीलांबर चमकाती हैं
जब नई नई किरणें आती हैं
प्रेम प्रीत बरसाती हैं
कली कली खिल जाती है
पोर पोर महकाती है
लाल सुनहरे आसमान में
पंछियों के संग गाती हैं
मंद मंद पवन सुहानी
अंतर्मन छू जाती है
प्राण वायु देती जीवन को
तन मन खुश कर जाती है
खिल उठते हैं फूल धरा पर
खुशबू से भर जाती है
अप्रियतम है छटा प्रकृति की
सबके मन को भाती है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
27 Views
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