भोग
बहुत तकलीफ दी है तुमने अपनों को माफी माँगों उनसे कुछ तकलीफ कम होगी तुम्हारी , अन्यथा अंत बहुत खराब है पंडित कमला की कुंडली देख बोला जा रहा था , इधर कमला ये सुन सोच रही थी किसको ज्यादा तकलीफ दी है उसने ? उसकी बहु का नाम उसकी लिस्ट में सबसे उपर था , अचानक से गिरगिट की तरह रंग बदला कमला ने….इस काम में महारत हासिल थी उसे , मुझे माफ कर दो बहु मेरी तो मति मारी गई थी , मैने जानबूझ कर तेरे साथ अन्याय नही किया सब उपरवाला करवाता है नही तो घर में खाना होते हुये तुझ गर्भवती को मैं खाना ना देती ? मैं पैर पड़ती हूँ तेरे , अचानक से सोच के विपरीत सास की इस हरकत से बहु आश्चर्य में पड़ गई…ये आप क्या कर रही हैं मम्मी मैं कौन होती हूँ माफ करने वाली ? आप ही तो कहती थी ना की सबको अपना भोग यहीं भोग कर जाना है , मेरा भोग मैंने भोगा अब आपको अपना भोग भोगना है….मैं सेवा कर सकती हूँ लेकिन आपका भोग तो नही ले सकती…इतने सालों में कम से कम थोड़ी तो सास की ज़बान बोलनी आ ही गई थी बहुु को ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 09/01/2020 )