भेद स्वाद का
वो डाइनिंग टेबल पर उबला खाना खाते रहे
और हमें जमीन पर भी पकवान नसीब हुए
वो तो आरामतलब हैं दवाओं के सहारे जीते हैं
हम मेहनतकशों को जलेबी और लड्डू नसीब हुए
वो खाते हैं तो बिन स्वाद का सिर्फ जीने के लिए
हमें तो नमक से सूखी रोटी में भी स्वाद नसीब हुए
खाने से पहले दवा और खाने के बाद भी दवा
वो ऐ सी में रहे और हमें पेड़ पौधे नसीब हुए
वो हमारी और हम उनकी तरह नही जी सकते
जिओ अपनी अपनी तरह जिसको जैसे नसीब हुए
वीर कुमार जैन
25 जुलाई 2021