भेज दे कोई इक रहनुमा।
खुदा तेरी दुनियां में ये दिल लगता कहीं ना है।
भेज दे कोई इक रहनुमा दिल लगाने के लिए।।1।।
तन्हा हैं हम सफर में सुने सुने है सारे रास्ते भी।
सफर में हमसफ़र चाहिए मंज़िल पाने के लिए।।2।।
मुश्किलों की इंतिहा है जानें अंजाम क्या होगा।
अंधेरों में अपना ही साया है देखो हमको डराने के लिए।।3।।
खेत खलिहान सब ही सूखे है तिश्नगी ए आब में।
नाज़िल कर कोई अब्र रहमत का जमीं पे बरस जानें के लिए।।4।।
फूल तो सारे ही खिले है और खुशबू भी है इनमें।
पर कोई हवा तो चले गुलशन को महका जानें के लिए।।5।।
खुदको तो समझा देते है पर दिल का क्या करे।
परवाना बेचैन रहता है शम्मा ए इश्क में जल जानें के लिए।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ