भूल सकू तो भुला दूं
भूल सकू तो भुला दूं
सबसे पहले अतीत को जला दू
भूल सकू तो भुला दूं
एक नए जीवन को शुरुवात दू
एक दुआ मांगू ईश्वर से
की सारे गम को भुला दू
बीते दिन मुझे न याद आए
ये वरदान लू
आखिर अतीत एक बिता
कल हैं जीना नवीन कल हैं
दोनो का न कोई
एक दूसरे से जुड़ा कल है
भूल सकू तो शत्रु को
अपने भुला दू
उन्हें मित्रता का
हार दू
भूल सकू तो हर एक
दर्द को भुला दू
पर ये मेरे हाथ में कहा
विधाता को कैसे में मात दू