भूल जाना (वहम )
कि कौन चाहता है
उसे याद करना
जो कह चुका हो
भूल भी जाओ अब
वक़्त बहुत बीत चुका है
मग़र अफ़सोस ये वक़्त
ये ख़ामोश गहरी रात
सन्नाटे में दख़ल देती
घड़ी में मिनट का कांटा
कमरे का ये धुंधला अंधेरा
जो मंदिर के लाल बल्ब की रौशनी पर टिकता हो
और मोबाईल की स्क्रीन पर
बार -बार तेरा चेहरा
पहले की तरह ही जलता हो बुझता हो, जलता हो बुझता हो,
वक़्त कहाँ बीत गया
यह हर रोज़ यहीं ठहर जाता है जैसे
हमारे संवाद के ठीक उसी मिनट पर ।
किरण वर्मा