भूल जाना आसान नहीं
भूल जाना आसान नहीं,याद रखना मुसीबत है।
कैसे तुमको समझाये ,ये इश्क़ एक अज़ीयत है।
बड़े बड़े सिकंदर ,डूब गये इस तलातुम में
तुम्हें ये कैसे समझाये, ये कैसी वहशत है।
हस कर मरने को तैयार , क्यों रहते हैं दीवाने
तुम्हें ये कैसे समझाए , इसकी कैसी शिद्दत है।
किसी पर मर के जीना ही,जायज़ होता है इसमें
तुम्हें ये कैसे समझाये,ये भी एक इबादत है।
खुदा बनो किसी के या सजदे में रहो हरदम
तुम्हें ये कैसे समझाये,ये भी एक महारत है।
सुरिंदर कौर