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29 Nov 2017 · 1 min read

भूल जाऊँ अपनी वेदना

रवि नित्य नूतन रश्मि लाता,
फिर जग को रोशन करता,
धरा का मिटाता वह अंधेरा,
सबको दिखाता नया सवेरा,
सुख हो या दुःख सदा चमकता दूर गगन,
खुद जलता फिर भी देखो है कितना मगन,
है!आदित्य तुमको है नमन,
जोड़े दोनों कर ,करता हूँ वंदन,
रहे सब खुश दे दो ऐसा आशीष,
स्वाभिमान से सदा ऊँचा रहे शीश,
बनी रहे मन मे सदा मधुर चेतना,
भूल जाऊँ अपनी सारी वेदना,
(मन की मधुर चेतना….✍..)

Language: Hindi
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