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9 Dec 2018 · 1 min read

भूली-बिसरी यादें हैं कुछ

भूली-बिसरी यादें हैं कुछ
और पुराने वादें हैं कुछ

जीवन इक कड़वी सच्चाई
लेकिन मीठी यादें हैं कुछ

तन्हा-तन्हा-सी बरसों से
हाँ लव पर फरियादें हैं कुछ

चाहे दिल पर और सितमकर
देख बुलन्द इरादें हैं कुछ

दिलवालों की ज़ेबें ख़ाली
फिर भी वो शहजादें हैं कुछ

2 Likes · 2 Comments · 248 Views
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