भूलभूलैया
रिश्तों की भूलभूलैया
हर रिश्ता प्रश्न चिह्न
उम्मीदों की दरकार लिए
खड़ा राह के हर गलियारें में,
भूलभूलैया आखिर क्यों ?
क्यों हर रिश्ता स्वार्थ के आगे
भूल जाता है खरा शुद्ध रिश्ता
क्यों लेन देन से परे नहीं
क्यों बेशर्तिया रहते रिश्ते
क्यों खो जाते हैं व्यापार की गलियों में ।
ये रिश्तों की भूलभूलैया
न भाती एक पल भी अब
एकाकी उत्तम है जीवन की राह
मधुर है , बेशक संघर्ष सही
बेमतलब की उम्मीद तो नहीं ।।।
पदमजा राघव