भूलने की कोशिश में
कुछ लिखने की चाहत
किन्तु लिख नहीं पाता हूं
रहस्य है पर इसे हम एक
तार से पिरोए देना चाहता हूं
कुछ बातें हैं मन में
छुपी हुई, खोई-सी
पता नहीं क्यों, उसे
उघेर नहीं पाता हूं
कोई पसंद नहीं करता हमें
न ही कोई अपना है यहां
मैं न ही खुबसूरत के ताज
न ही अमीरीपन का मलाल
ग़र जो भी पसंद आएं हमें
कुछ बातें बोल चली जाती है
सभी को सुन-सुनकर मैं
आहें भर-भर रो लेता हूं
अपना भी तो दर्द है
किसे समझाऊं…..
किसे बताऊं…..
कोई समझें तो ज़रा
फिर मैं उसे बताऊं…
तेरी जुदाई अब
सहन कर लेता हूं
तुमसे दूर ही सही
तुम्हें भूलने की कोशिश में
हृदय को मना लेता हूं
वो भी रूठ जाती मुझसे
रूठी रहें तू यहीं ख्वाइश
सदा-सदा ही जीवन तलक
तुमसे दूर की कोशिश में हूं…
कुदरत से प्रार्थना करता हूं