भूलना मुमकिन नहीं उस धोखे और गलवान को
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भूलना मुमकिन नहीं उस धोखे और गलवान को
हम दिखा देंगे यहाँ औकात उस शैतान को/1
हल्के में कोई न लेना जंग के ऐलान को
हम हथेली पर लिए फिरते हैं अपनी जान को/2
दुश्मनी मन में रखे ये और करे व्यापार भी
छोड़ना होगा हमें हर चीन के सामान को/3
कब तलक इन सरहदों पर देश दे कुर्बानियां
सोचना ही अब पड़ेगा देश के सुल्तान को/4
आदमी है एक चेहरे दो लिए फिरता यहाँ
कैसे पहचाने कोई अपनों में बेईमान को/5
मुल्क से बढ़कर नहीं है कोई भी ये जान लो
बेबसी में भी नहीं हम बेचते ईमान को/6
मेरा मकसद दिल दुखाने का नहीं ‘सागर’ यहाँ
गर बुरा सबको लगे तो माफ़ी दो नादान को/7
©️®️
सागर